तेरी वफ़ा पे जब से मेरा हक नहीं रहा,
तेरी वफ़ा पे जब से मेरा हक नहीं रहा,
ए दिल!मेरा नसीब ही चमक नहीं रहा,
बेनूर हो गयी निगाह बेमज़ा फिज़ां.
और ज़िन्दगी में भी कोई नमक नहीं रहा