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पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…

पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन में पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…

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मावा,मैदा बेसन, भरपूर है, घर में पिछले पकवान बनाने का मन ही नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
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व्हाट्सएप पर ग्रूप बने है पर तंबोला की अब वो चहक नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछ्ले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
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थाली बजी, दीपक जले, पर शायद अब विश्वास नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन में पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…
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क्वारंटाइन आइसोलेशन बन गया। स्टीम,काढे, योगा का भी असर नहीं है।…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
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आई पी एल भी चल रहा है, प्रधान सेवक की रैलियां भी चल रही है, पर मन फिर भी उदास है।…


न जाने क्यों इस लॉकडाउन में पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
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पिछला लॉक डाउन आँकड़े देखते गुजरा, अब आँकड़े , आँकड़े नहीं, आंसुओ का सैलाब हैं…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
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आँकड़े कब पड़ोसी, परिवार बन गए आँकड़ों पर अब नजर नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन में पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…
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पिछले में वैक्सीन नहीं थी, अब वैक्सीन पर यकीन नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
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न जाने क्यूं इस पॉजिटिव शब्द में 0.1% भी पॉजिटिविटी नहीं है…

*न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
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