Posted on Leave a comment

पीछे मुड के हमने जब देख़ा ,गुज़रा वो ज़माना याद आया।

पीछे मुड के हमने जब देख़ा ,गुज़रा वो ज़माना याद आया। 

पीछे मुड के हमने जब देख़ा ,गुज़रा वो ज़माना याद आया।

बीती एक कहानी याद आइ, बीता एक फ़साना याद आया।…..

सितारों को छूने की चाहत में, हम शम्मे मुहब्बत भूल गये।

जब शम्मा जली एक कोने में, हम को परवाना याद आया।…..

शीशे के महल में रहकर हम, तो हँसना-हँसाना भूल गये।

पीपल की ठंडी छाँव तले वो हॅसना-हॅसाना याद आया।…..

दौलत ही नहीं ज़ीने के लिये, रिश्ते भी ज़रूरी होते है।

दौलत ना रही जब हाथों में, रिश्तों का खज़ाना याद आया।…..

शहरॉ की ज़गमग-ज़गमग में, हम गीत वफ़ा के भूल गये।

सागर की लहरॉ पे हमने, गाया था तराना याद आया।…..

चलते ही रहे चलते ही रहे, मंजिल का पता मालूम न था।

वतन की वो भीगी मिट्टी का अपना वो ठिकाना याद आया।…..

अपनॉ ने हमें कमज़ोर किया, बाबुल वो हमारे याद आये।

कमज़ोर वो ऑखॉ से उन को वो अपना रुलाना याद आया।…..

अय “राज़” कलम तुं रोक यहीं, वरना हम भी रो देंगे।

तेरी ये गज़ल में हमको भी कोइ वक़्त पुराना याद आया।…..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *