रखने परचम ऊँचा खेल जाते हैं जान पर
आने नहीं देते आँच वतन की आन पर..करते हैं अपनी नींदें कुरबान हमारी खातीरहिंद को फ़ख्र हैं अपने हिंदी जवान पर..
रखने परचम ऊँचा खेल जाते हैं जान पर
आने नहीं देते आँच वतन की आन पर..करते हैं अपनी नींदें कुरबान हमारी खातीरहिंद को फ़ख्र हैं अपने हिंदी जवान पर..