शादी के बिना सुख ही सुख
संता ने सालों तक शादी की कोशिश में नाकाम होने के बाद एक दिन पंडित जी को अपनी जन्मकुण्डली दिखाई।
संता: महाराज, सालों हो गए, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद मेरी शादी नहीं हो पा रही है. आप बताइए, क्या अड़चन है?
पंडित: भाई मेरे, तुम्हारी शादी होगी भी नहीं, क्योंकि तुम्हारी कुण्डली में सुख ही सुख लिखा है।
संता ने सालों तक शादी की कोशिश में नाकाम होने के बाद एक दिन पंडित जी को अपनी जन्मकुण्डली दिखाई।
संता: महाराज, सालों हो गए, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद मेरी शादी नहीं हो पा रही है. आप बताइए, क्या अड़चन है?
पंडित: भाई मेरे, तुम्हारी शादी होगी भी नहीं, क्योंकि तुम्हारी कुण्डली में सुख ही सुख लिखा है।
संता : रात को सपने में एक चुडैल कभी मेरे आगे, कभी पीछे घूम रही थी।
बंता : कौन सा सपना था?
संता : मेरी शादी का।
संता: हमने चौकीदार को निकाल दिया।
बंता: क्यों?
संता: अरे,चौकीदार वो था और रात को हम पर चिल्लाता है जागते रहो।