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एक शादीशुदा आदमी की शायरी

एक शादीशुदा आदमी की शायरी


‘मांग भरने की सजा,
कुछ इस तरह पा रहा हूँ …
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मांग पूरी करने के चक्कर में,
मांग-मांग के खा रहा हूँ !!!
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