दिन में कैसे ?
एक सुबह, एक खूबसूरत लड़की बस स्टॉप पर खड़ी थी। वहां से गुजर रहे एक लड़के ने उसे छेड़ने की नीयत से फब्ती कसी – चांद तो रात को निकलता है, आज दिन में कैसे निकल आया ?
लड़की ने मुस्कुराकर जवाब दिया – उल्लू तो रात को बोलता है, आज दिन में कैसे बोल रहा है…..
मेरा पैसा
एक लुटेरे ने एक आदमी की कनपटी पर पिस्तौल टिकाई और बोला – ”जल्दी से अपना सारा पैसा मेरे हवाले करो ।”
भला आदमी, जो इस अचानक आक्रमण से घबरा गया था, बोला – ”तुम ऐसा नहीं कर सकते। तुम मुझे जानते नहीं हो। मैं रूलिंग पार्टी का लीडर हूं।”
”अच्छा ऐसी बात है। तो फिर मेरा पैसा मेरे हवाले करो।”
बेटा ही समझिये
एक युवक शॉपिंग माल में खरीदारी कर रहा था कि तभी उसने लक्ष्य किया एक बूढ़ी औरत काफी देर से लगातार उसके साथ साथ चल रही है और बीच बीच में उसे घूर भी रही है। ”होगी कोई! मुझे क्या …?” उसने सोचा और आगे बढ़ गया।
जब वह भुगतान करने के लिये बिल काउंटर की ओर बढ़ा तो वह महिला एकदम से उसके पास आ गई और बोली – ”बेटा, तुम सोच रहे होगे कि यह औरत मुझे इस तरह क्यों देख रही है ? दरअसल तुम्हें देखकर मुझे अपने बेटे की याद आ गई जो पिछले साल एक दुर्घटना में मारा गया।” कहने के साथ बुढ़िया की आंखे छलछला आईं।
लड़का द्रवीभूत हो गया। बोला – ”मांजी, आप मुझे अपना बेटा ही समझिये। कहिये, मैं आपकी कुछ मदद करूं ?”
बुढ़िया ने बिल काउंटर से अपना सामान उठाते हुये कहा – ”नहीं, नहीं बेटा! मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस तुमने अपने मुंह से मां कह दिया यही बहुत है।” यह कहकर बुढ़िया चलने लगी। लड़का भावुक होकर उसकी ओर देखता रहा।
दरवाजे के पास जाकर बुढ़िया ने लड़के की तरफ हाथ हिलाया और बोली – ”अच्छा बेटा, जाती हूं।”
”ठीक है मांजी । जाइए। अपना खयाल रखना।” लड़के ने जोर से कहा। बुढ़िया चली गई।
अब लड़का बिल काउंटर की तरफ मुड़ा। ”कितना हुआ”, उसने पूछा।
”तीन हजार सात सौ रुपये”, क्लर्क ने बताया।
”क्या ? …. पर मेरे सामान की कीमत पांच सौ रुपये से ज्यादा नहीं है!” लड़का जोर से बोला।
”बिलकुल! आप सही कह रहे हैं। पर आपकी मांजी बत्तीस सौ रुपये का सामान ले गई हैं।” क्लर्क ने स्पष्ट किया।
मिठाई का डिब्बा
संता और बंता के बीच जायदाद का झगड़ा था। मामला अदालत में था।
संता ने अपने वकील से कहा – ”यदि मैं यह केस हार गया तो बर्बाद हो जाऊंगा।”
वकील ने कहा – ”तुम्हारा केस काफी कमजोर है। मैं तुम्हारी ज्यादा मदद नहीं कर सकता। अब सब कुछ जज के हाथों में है।”
संता ने कहा – ”अगर मैं जज को मिठाई का डिब्बा भेजूं तो कुछ काम बनेगा ?”
”ऐसी गलती मत करना। यह जज बहुत सख्त है। अगर तुमने ऐसा किया तो तुम निश्चित ही केस हार जाओगे।” वकील ने चेतावनी दी।
कुछ दिनों बाद केस का फैसला संता के हक में हो गया। संता वकील के घर मिठाई लेकर पहुंचा और बोला – ”आपकी सलाह काम कर गई। मिठाई के डिब्बे ने मेरा काम बना दिया।”
”मेरी सलाह ? लेकिन मैंने तो मिठाई का डिब्बा न भेजने की सलाह दी थी ?” वकील ने आश्चर्य प्रकट करते हुये कहा ।
”हां, आपने यही कहा था।” संता ने कहा ।
”फिर तुमने मिठाई का डिब्बा क्यों भेजा ? जज नाराज नहीं हुआ ?” वकील ने पूछा ।
”नाराज हुआ न! तभी तो मैं केस जीता ! दरअसल मैंने मिठाई के डिब्बे पर लिखा ”बंता ंसिंह की तरफ से श्रीमानजी के लिये भेंट”! ” संता ने मुस्कुराते हुये जवाब दिया।
खुशी का राज
एक आदमी, जो किसी दुर्घटना में अपना एक हाथ गंवा बैठा था, अपनी जिंदगी से बहुत निराश हो गया। उसने आत्महत्या करने की ठान ली ।
एक दिन, वह एक इमारत की बीसवीं मंजिल पर चढ़ गया और नीचे कूदने की तैयारी में था कि तभी उसने नीचे एक आदमी को जाते देखा जिसके दोनों हाथ कटे हुये थे। उसने देखा कि अचानक उस आदमी ने गली में नाचना शुरू कर दिया। यह दृश्य देखकर वह ठिठक गया। उसे अपने ऊपर बहुत शर्म आई। वह सोचने लगा कि जिस आदमी के दोनों हाथ कटे हुये हैं वह कितनी मस्ती में नाच रहा है और एक मैं हूं एक हाथ साबुत होते हुये भी आत्महत्या करने जा रहा हूं।
अपने आपको धिक्कारता हुआ वह नीचे उतर आया और उस बिना हाथ वाले आदमी के पास पहुंचकर बोला – ”दोस्त, अभी मैं उस बीसवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करने वाला था क्योंकि मेरे एक ही हाथ बचा है! और एक तुम हो कि जिसके एक भी हाथ नहीं है इस तरह नाच रहे हो! तुम्हारी खुशी का राज क्या है ?”
दोनों हाथ कटे हुये वाला आदमी बोला – ”अरेऽऽ ! …. मैं कोई खुशी में नहीं नाच रहा हूं……! मेरी नाक में बड़ी तेज खुजली हो रही है …..!”
चांद जैसी
पिता – बेटा, तुम्हें कैसी बीबी चाहिए ?
बेटा – पापा, मुझे चांद जैसी बीबी चाहिए, जो रात को आए और सुबह चली जाए …..