हमारे इश्क की दस-बीस ने भी दाद न दी
किसी का हुस्न जमाने में इंतखाब हुआ
तड़पूंगा उम्र भर दिल-ए-मरहूम के लिए
कम्बख्त नामुराद लड़कपन का यार था
बराये नाम सही कोई मेहरबान तो है
हमारे सर पे भी होने को आसमान तो है
साफ जाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं
मुंह से कहते हुये ये बात मगर डरते हैं
सोचा था कि तुम दूसरों जैसे नहीं होगे
तुमने भी वही काम मेरी जान किया है
इस तरह सताया है परेशान किया है
गोया कि मुहब्बत नहीं अहसान किया है
एक टूटी हुई जंजीर की फरियाद हैं हम
और दुनिया ये समझती है कि आजाद हैं हम
देख लो आज हमको जी भर के
कोई आता नहीं है फिर मर के
इश्क में हमने ये कमाई की
दिल दिया गम से आशनाई की
मंजिल मिली, मुराद मिली, मुद्दआ मिला
सब कुछ मुझे मिला जो तेरा नक्श-ए-पा मिला
अब क्या बताऊं मैं तेरे मिलने से क्या मिला
इरफान-ए-गम हुआ मुझे दिल का पता मिला
बात साकी की न टाली जाएगी
करके तौबा तोड़ डाली जाएगी