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रुके ना तू झुके ना तू (ruke na tu jhuke na tu)

                      

                                             धरा हिला, गगन गुंजा
                                              नदी बहा, पवन चला
                                            विजय तेरी , विजय तेरी
                                             ज्योती सी जल , जला

                                        भुजा भुजा, फड़क – फड़क
                                            रक्त में धड़क – धड़क
                                           धनुष उठा , प्रहार कर
                                         तु सबसे पहला वार कर 
                                           अग्नि सी धधक – धधक
                                           हिरन सी सजग – सजग
                                              सिंह सी दहाड़ कर
                                              शंख सी पुकार कर

                                              रुके न तू , थके न तू
                                              झुके न तू , थमें न तू
                                              सदा चले , थके न तू
                                              रुके न तू , झुके न तू
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नहीं बदल सकते हैं हम खुद को

नहीं बदल सकते हैं हम खुद को

 

                                              नहीं बदल सकते हैं हम खुद को 

                                                        औरो के हिसाब से 

                                                   एक लिबास हमें भी दिया है 

                                                     खुदा ने अपने हिसाब से

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पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…

पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन में पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…

😞😞😞😞😞😞.
मावा,मैदा बेसन, भरपूर है, घर में पिछले पकवान बनाने का मन ही नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
😣😞😞😞😞😞.
व्हाट्सएप पर ग्रूप बने है पर तंबोला की अब वो चहक नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछ्ले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
😞😞😞😞😞😞.
थाली बजी, दीपक जले, पर शायद अब विश्वास नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन में पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…
😞😞😞😞😞😞.
क्वारंटाइन आइसोलेशन बन गया। स्टीम,काढे, योगा का भी असर नहीं है।…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
😞😞😞😞😞😞.
आई पी एल भी चल रहा है, प्रधान सेवक की रैलियां भी चल रही है, पर मन फिर भी उदास है।…


न जाने क्यों इस लॉकडाउन में पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
😞😞😞😞😞😞.
पिछला लॉक डाउन आँकड़े देखते गुजरा, अब आँकड़े , आँकड़े नहीं, आंसुओ का सैलाब हैं…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
😞😞😞😞😞😞.
आँकड़े कब पड़ोसी, परिवार बन गए आँकड़ों पर अब नजर नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन में पिछले लॉकडाउन सी खुशी नहीं है…
😞😞😞😞😞😞.
पिछले में वैक्सीन नहीं थी, अब वैक्सीन पर यकीन नहीं है…

न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
😞😞😞😞😞😞.
न जाने क्यूं इस पॉजिटिव शब्द में 0.1% भी पॉजिटिविटी नहीं है…

*न जाने क्यों इस लॉकडाउन मे पिछले लॉकडाउन सी खुशी नही है…
😞😞😞😞😞😞

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👗 कपड़े हो गए छोटे


👗 कपड़े हो गए छोटे 

👗 कपड़े हो गए छोट

🙈 लाज कहा से आए 

🌾 रोटी हो गई ब्रैड 

💪 ताकत कहा से आए 

🌺 फूल हो गए प्लास्टिक के 

😔 खुशबू कहा से आए 

👩 चेहरा हो गया मेकअप का 

👸 रूप कहाँ से आए 

👨 शिक्षक हो गए टयुशन के 

📚 विद्या कहाँ से आए 

🍱 भोजन हो गए होटल के 

✊ तंदरुस्ती कहाँ से आए 

📺 प्रोग्राम हो गए केबल के 

🙏 संस्कार कहाँ से आए 

💵 आदमी हो गए पैसे के 

🙉 दया कहाँ से आए 

🏭 धंधे हो गए हायफाय 

🎁 बरकत कहाँ से आए 

👳 भक्ति करने वाले स्वार्थी हो गए 

👤 भगवान कहाँ से आए 

👫 रिश्तेदार हो गये व्हाट्सऐप के 

💃🏃 मिलने कहाँ से आए;

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छोटा सा गाँव मेरा पुरा बिग् बाजार था !

 छोटा सा गाँव मेरा

पुरा बिग बाजार था !

एक नाई, एक मोची,

एक अच्छा  लुहार था !!

छोटे छोटे घर थे

हर आदमी बङा दिलदार था !

छोटा सा गाँव मेरा

पुरा बिग बाजार था !!

कही भी रोटी खा लेते 

हर घर मे भोजऩ तैयार था !

बाड़ी की सब्जी मजे से खाते थे 

जिसके आगे शाही पनीर बेकार था !!

छोटा सा गाँव मेरा

पुरा बिग् बाजार था !

दो मिऩट की मैगी ना, 

झटपट दलिया तैयार था !!

नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार था 

अपना घड़ा कस कै बजा लेते !

समारू पुरा संगीतकार था,,

छोटा सा गाँव मेरा पुरा बिग बाजार था !!

मुल्तानी माटी से तालाब में नहा लेते,

साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था !

और फिर कबड्डी खेल लेते

हमे कहाँ क्रिकेट का खुमार था !!

छोटा सा गाँव मेरा

पुरा बिग् बाजार था।।।

दादी की कहानी सुन लेते 

कहाँ टेलीविज़न और अखबार था !

भाई – भाई को देख के खुश था,

सब मे बहुत प्यार था !!

छोटा सा गाँव मेरा पुरा बिग बाजार था !!

वो प्यार, वो संस्कृति

मैं अब कहाँ से लाऊं !

ये सोच सोच कर

मैं बहुत दुख पाऊं !!

जो वो समय फिर आ जा्य 

तो बहुत मजा आ जाय !

मैं अपनी असली जिन्दगी जी पाऊं 

और मैं इस धरती को सौ-सौ शीश झुकाऊं !!