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​​हमारे गाँव में त्यौहार भी नहीं आते

​​हमारे गाँव में त्यौहार भी नहीं आते

लगे है फोन जबसे​ ​तार भी नहीं आते​​, ​
बूढी आँखों के अब मददगार भी नहीं आते​​,
​​गए है जबसे शहर में कमाने को लड़के​​,
​​हमारे गाँव में त्यौहार भी नहीं आते।

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खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको

खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको

सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको
दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको
जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे
खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको