Posted on January 24, 2022 by gopal.singh07 — Leave a commentनई उम्मीदें जगाना है…(nayi ummeeden jagaana hai…) नई उम्मीदें जगाना है… नई उम्मीदें जगाना है… अंधकार को चीरता हुआ सूरज उगाना है… कांटों से दूर नए फूल खिलना है.. साफ दिलों से भरा एक नया शहर बसाना है..
Posted on January 22, 2022 by gopal.singh07 — Leave a commentरखने परचम ऊँचा खेल जाते हैं जान पर (rakhne parcham uncha khel jaate hain jaan per) रखने परचम ऊँचा खेल जाते हैं जान पर आने नहीं देते आँच वतन की आन पर.. करते हैं अपनी नींदें कुरबान हमारी खातीर हिंद को फ़ख्र हैं अपने हिंदी जवान पर..