किस्मत खराब है
एक शराबी आधे घण्टे से शराब का प्याला सामने रख कर उसे घूरे जा रहा था । उसी बार में मस्तमौला बंता भी बैठा हुआ था। उसे मजाक सूझा। वह उठा और उसने शराबी के सामने रखा हुआ जाम एक ही सांस में खाली कर दिया। यह देखकर शराबी रोने लगा।
बंता – रो मत यार ! तू काफी देर से चुपचाप बैठा हुआ था इसलिए मैंने तो मजाक किया था । चल मैं तेरे लिए दूसरा गिलास मंगा देता हूं …..
शराबी – मैं शराब के लिए नहीं रो रहा हूं। मैं तो अपनी किस्मत को रो रहा हूं। आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन है। आज मैं देर से ऑफिस पहुंचा तो बॉस ने नौकरी से निकाल दिया। बाहर आया तो देखा मेरी गाड़ी चोरी हो चुकी थी। किसी तरह घर पहुंचा तो पता चला कि मेरी बीबी मेरा सारा पैसा और सामान लेकर अपने प्रेमी के साथ चंपत हो चुकी थी। आखिर में मैं इस बार में आया और आत्महत्या करने की सोच ही रहा था कि तुम आ गए और मेरा जहर मिला शराब का गिलास पी गए …. सचमुच मेरा तो दिन बहुत ही खराब है ….
नफरत की वजह
बंता – महिलाएं शराब से इतनी नफरत क्यों करती हैं ?
प्रीतो – क्योंकि इसको पीने के बाद उनके चूहे जैसे पति शेरों जैसा बर्ताव करने लगते हैं
बहक जाते हो ..
बंता शराबी एक बार में गया । वहां जाकर उसने बार में मौजूद सभी लोगों, जिनमें बार मालिक भी शामिल था, के लिए अपनी तरफ से एक-एक पैग व्हिस्की का ऑर्डर दिया।
– आज सभी लोग मेरी तरफ से पियो । बंता ने झूमते हुए घोषणा की।
आधे घण्टे बाद बंता ने फिर से सभी लोगों के लिए एक-एक पैग व्हिस्की का ऑर्डर दिया। बार मालिक को भी एक पैग और मिला।
फिर तो हर आधे घण्टे बाद यही क्रम चलने लगा। पांचवें पैग के बाद बार मालिक को चिंता होने लगी। उसने बंता को एक तरफ बुलाकर कहा – भाईसाहब, आपका अभी तक का बिल तीन हजार चार सौ रुपये हो गया है ।
– बिल ? कैसा बिल ? मेरे पास तो फूटी कौड़ी भी नहीं है। बंता ने जेबें उल्टी करके दिखाते हुए कहा।
अब तो बार मालिक का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उसने लात घूंसों से बंता की जमकर पिटाई की और आखिर में बार के कर्मचारियों से कहकर बाहर गंदे नाले में फिंकवा दिया ।
अगले दिन शाम को बार अभी खुला ही था कि बंता अंदर आया और बोला – एक पैग व्हिस्की मेरे लिए और एक-एक यहां मौजूद सभी लोगों के लिए मेरी तरफ से …… ।
फिर बार मालिक की तरफ उंगली करके बोला – सिर्फ तुमको छोड़कर …. । तुम चार पैग के बाद बहक जाते हो .
पकड़ के रखो
एक शराबी ने एक दिन कुछ ज्यादा ही पी ली। लडखड़ाते कदमों से किसी तरह घर के दरवाजे तक पहुंचा और जेब से चाभी निकालकर ताला खोलने की कोशिश करने लगा।
नशा ज्यादा होने की वजह से वह चाभी को ताले में डाल ही नहीं पा रहा था। चाभी कभी इधर हो जाती कभी उधर । उसे परेशान होते देख पास ही खड़े एक व्यक्ति ने उसकी मदद करनी चाही ।
पास आकर बोला – लाओ चाभी, ताला मैं खोल देता हूं।
शराबी बोला – नहीं, नहीं, ताला तो मैं खोल लूंगा। तुम तो बस जरा दरवाजे को पकड़ के रखो।
सफल
दो दोस्त आपस में बाते कर रहे थे।
पहला – ”यार आजकल मुझे नींद नहीं आती।”
दूसरा – ”अच्छा! फिर तुम इसका क्या उपाय करते हो ?”
पहला – ”आध-आध घण्टे पर व्हिस्की का एक पैग पी लेता हूं।”
दूसरा – ”इससे कुछ फायदा होता है ?”
पहला – ”नहीं, पर जागना सफल तो हो जाता है।”
गधा जो ठहरा !
एक उपदेशक ने मद्यनिषेध पर भाषण दिया। अन्त में पूछा – ”अच्छा मान लीजिये, मैं एक बालटी पानी और एक बालटी शराब मंगाकर यहां रख दूं और एक गधे को को बुलवाऊं तो वह किस बालटी में मुंह डालेगा ?”
श्रोता – ”पानी की बालटी में”
उपदेशक – ”आखिर क्यों ?”
श्रोता – ”वह गधा जो ठहरा !”